गोंडी फ़िलहाल इन 6 प्रदेशों में ही बोली जाती है। प्रदेश का शिक्षा विभाग गोंडी मानकीकरण का कार्य राज्य की स्वयंसेवी संस्था सीजीनेट स्त्र फ़ाउंडेशन के साथ मिलकर कर रही है जो इन सभी राज्यों के गोंड समाज के साथ मिलकर गोंडी मानकीकरण का काम पिछले लगभग 10 वर्ष से कर रही है। इस बार इस कार्य में 10 हज़ार गोंडी के शब्दों के संग्रह का लक्ष्य रखा गया है। इससे पहले यह यात्रा 15 अप्रैल से मोहला मानपुर कांकेर और कोंडागाँव जिलों के विभिन्न हिस्सों से गोंडी शब्द संग्रह का काम कर चुकी है।
नारायणपुर जिले के बाद गोंडी शब्द संग्रह यात्रा 15 जून तक दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और बस्त्र जिलों का भ्रमण कर उन जिलों से भी गोंडी शब्द संग्रह का काम करेगी। इस काम में जिले में सोनपुर, छोटे डोंगर और ओरछा तीनों जगह अबूझमाडिया समुदाय के लोगों ने विशेष रुचि के साथ काम किया गोंडी शब्दों के संग्रहण के बाद केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान मैसूर की मदद से एक गोंडी मानक शब्दकोश बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा।
गोंडी शब्द संग्रह के कार्य के लिए दो मोबाइल ऐप का उपयोग किया जा रहा है। इसमें से एक ऐप को माइक्रोसोफ्ट रिसर्च संस्था ने बनाकर दिया है। दूसरा ऐप भी अमेरिका की एक संस्था वाक्सलैब ने बनाकर दिया है। टीम स्थानीय लोगों को इस ऐप पर कैसे काम करना है इसका प्रशिक्षण देते चल रही है जिससे शिक्षक और स्थानीय लोग कार्यशालाओं के बाद अपने घर से ही अपने मोबाइल पर गोंडी शब्दों को जोड़ सकें।
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