Gariaband News:गरियाबंद जिले में धान की फसल को छोड़कर अब किसान लघु धान्य फसलों के प्रशंसक बन रहे हैं। शासन द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है ताकि किसानों को इन फसलों के लिए प्रोत्साहन मिल सके। इसका परिणामस्वरूप किसानों की आर्थिक समृद्धि में वृद्धि देखी जा रही है। इसके अलावा, ये फसलें पानी और खाद की कम मात्रा में उगाई जा सकती हैं और कीट-बीमारी से कम प्रभावित होती हैं।
छत्तीसगढ़ में लघु धान्य फसलों का महत्व
छत्तीसगढ़ देश का एक महत्वपूर्ण राज्य है जहां कोदो, कुटकी, रागी, और अन्य मिलेट्स फसलें खेती की जाती हैं। इन फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाती है और इसके वैल्यू एडिशन का काम भी किया जा रहा है। किसानों को नकदी फसल लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस वर्ष मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है। इससे किसानों को अधिक आय मिलने लगी है और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।
गरियाबंद जिले में लघु धान्य फसलें की उपज
गरियाबंद जिले में किसान डामेन्द्र कुमार देशमुख ने लघु धान्य फसलों की खेती की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि उन्होंने पहली बार कृषि विभाग के मार्गदर्शन में रागी की फसल की खेती शुरू की है और बीज निगम में पंजीकरण भी करवाया है। रबी सीजन में धान की खेती करने की बजाय रागी की फसल उगाने से उन्हें कई लाभ मिले हैं। रागी की फसल में कम पानी और कीट-बीमारी की समस्या नहीं होती है और खाद-दवाई की भी कम आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि उन्हें 1 हेक्टेयर में 14.40 क्विंटल रागी की उपज हुई है और वे इसे 5700 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर बेच चुके हैं। इससे उन्हें 69 हजार 255 रुपये की आमदनी हुई है।
लघु धान्य फसलों के लाभ
लघु धान्य फसलों को उगाने से किसानों को कई लाभ मिलते हैं। इन फसलों में पानी की कम आवश्यकता होती है और कीट-बीमारी का प्रकोप भी कम होता है। इसके अलावा, इन फसलों के लिए अधिक खाद-दवाई की आवश्यकता नहीं होती है। यह फसलें तेजी से पक जाती हैं और कम समय में तैयार हो जाती हैं। इसलिए, किसानों को कम मेहनत और समय लगता है इन फसलों की देखभाल में। इससे किसानों की आय में वृद्धि होती है और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
लघु धान्य फसलों की प्रशंसा
लघु धान्य फसलें वैश्विक तापमान बदलाव और खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर बहुत प्रशंसा प्राप्त कर रही हैं। इन फसलों को उगाने से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और उन्हें नये आय के साधन मिलते हैं। यह फसलें पर्यावरण के लिए भी उपयोगी होती हैं क्योंकि इनमें न्यूनतम खाद-दवाई की आवश्यकता होती है। इन फसलों को उगाने से स्थानीय उत्पादों की प्राथमिकता बढ़ती है और खाद्य सुरक्षा में सुधार होता है। इसलिए, लघु धान्य फसलों को प्रशंसा का पात्र माना जाता है और उनकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
संक्षेप में
शासन द्वारा लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया जा रहा है जिससे किसानों को इन फसलों के लिए प्रोत्साहन मिलता है। इससे किसानों की आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है और खेती में बदलाव आता है। लघु धान्य फसलें पानी और खाद की कम मात्रा में उगाई जा सकती हैं और कीट-बीमारी से कम प्रभावित होती हैं। यह फसलें किसानों को आय और समय की बचत करने में मदद करती हैं और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करती हैं। लघु धान्य फसलें वैश्विक तापमान बदलाव और खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर बहुत प्रशंसा प्राप्त कर रही हैं। इसलिए, इन फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और किसानों को इनके लाभ उठाने का मौका मिल रहा है।
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